तार क्या था और इसे कैसे भेजा जाता था?
तार कैसे भेजा जाता था?
तार क्या था और इसे भेजा कैसे जाता था, इस संबंध में पड़ताल करने पर डाकघर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह शहरों का टेलीफोन कोड है, उसी तरह टेलीग्राम करने के लिए जिलों और शहरों का भी टेलीग्राम कोड हुआ करता था। टेलीग्राम कोड छह अक्षरों का होता था। टेलीग्राम करने के लिए प्रेषक अपना नाम, संदेश और प्राप्तकर्ता का पता आवेदन पत्र पर लिखकर देता था, जिसे टेलीग्राम मशीन पर अंकित किया जाता था और शहरों के कोड के हिसाब से प्राप्तकर्ता के पते तक भेजा जाता था।
उन्होंने बताया कि टेलीग्राम करने के लिए पहले मोर्स कोड का इस्तेमाल होता था। विभाग के सभी सेंटर एक तार से जुड़े थे। मोर्स कोड के तहत अंग्रेजी के अक्षर व गिनती के अंकों का डॉट (.) और डैस (-) में सांकेतिक कोड बनाया गया था। सभी टेलीग्राम केंद्रों पर एक मशीन लगी होती थी। जिस गांव या शहर में टेलीग्राम करना होता था, उसके जिले या शहर के केंद्र पर सांकेतिक कोड से संदेश लिखवाया जाता था।
भारतीय डाक-तार सेवा के इतिहास पर शोध करने वाले अरविंद कुमार सिंह बताते हैं, ‘1857 के विद्रोह के वक़्त अंग्रेज़ों के टेलीग्राफ़ विभाग की असल परीक्षा हुई, जब विद्रोहियों ने अंग्रेज़ों को जगह-जगह मात देनी शुरू कर दी थी. अंग्रेज़ों के लिए तार ऐसा सहारा था जिसके ज़रिए वो सेना की मौजूदगी, विद्रोह की ख़बरें, रसद की सूचनाएं और अपनी व्यूहरचना सैकड़ों मील दूर बैठे अपने कमांडरों के साथ साझा कर सकते थे।’
भारत में तार
- 'कलकत्ता मेडिकल कॉलेज' में प्रोफ़ेसर रहे शांगुनसे को भारत में तार का जनक कहा जाता है।
- 11 फरवरी 1855 को आम जनता के लिए यह सुविधा शुरू हुई। तब एक रुपए में 16 शब्दों का तार 400 मील की दूरी तक भेजा जा सकता था।
- पहली प्रायोगिक तार लाइन 21 मील की थी जो 1839 में 'डब्ल्यू. बी. ओ. शांगुनसे' और उनके सहयोगी 'एफ़. बी. मोर्स' की पहल पर कलकत्ता और डायमंड हार्बर के बीच बिछाई गई थी।
- इस लाइन को 5 नवंबर 1850 में ही खोला जा सका, जब शिबचंद्र नंदी का डायमंड हार्बर से भेजा गया संदेश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी की मौजूदगी में पढ़ा गया।
- 1854 में कोलकाता से आगरा टेलीग्राफ़ लाइन से जुड़ा और क़रीब 800 मील की दूरी कुछ मिनटों में तय हो गई।
- अक्टूबर 1854 में पहली बार टेलीग्राफ़ एक्ट बनाया गया।
- तेज़ गति से तार बांटने का काम करने के लिए 1949-50 में मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया।
- इन सभी बदलावों का नतीजा यह हुआ कि 1957-58 में एक साल में तीन करोड़ दस लाख तार भेजे गए, और इनमें से 80 हज़ार तार हिंदी में थे।
- 1981-82 तक देश में 31 हज़ार 457 तारघर थे और देशी तारों की बुकिंग 7 करोड़ 14 लाख तक पहुंच चुकी थी।
रेल और तार
- 1849 तक भारत में एक किलोमीटर रेलवे लाइन तक नहीं बिछी थी। 1857 के बाद रेलवे लाइन बिछाने पर ब्रिटिश सरकार ने पूरी तरह ध्यान देना शुरू किया। इसके बाद 1853 में पहली बार बंबई (मौजूदा मुंबई) से ठाणे तक पहली ट्रेन चली।
- सन 1865 के बाद देश में लंबी दूरियों को रेल से जोड़ना शुरू किया गया लेकिन तार उससे पहले ही अपना काम शुरू कर चुका था।
- इसका सबसे बड़ा फ़ायदा अंग्रेज़ों को अपना नागरिक और सैन्य प्रशासन मज़बूत करने में मिला।